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Tuesday, 3 April 2012

parivartan

 जैसे -जैसे मौसम बदलता है ,वैसे -वैसे इंसानों के व्यवहार में भी बदलाव होता रहता है !गर्मी की रातों में जुगनू जो  चमकते है !वो सर्द रातों के घने अंधरे में कहीं गुम हो जाते है !और बसंत में जो कोयल की कुह होती है, वो बरसात के बाद के सन्नाटे में तब्दील हो जाती है !बरसात के मेंढक की टर्र बसंत में बदल जाती है !प्रकृति की प्रकृति है -बदलाव! इस दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है सिवाए  परिवर्तन के !

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